ई-पुस्तकें >> हनुमान बाहुक हनुमान बाहुकगोस्वामी तुलसीदास
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सभी कष्टों की पीड़ा से निवारण का मूल मंत्र
हनुमानबाहुक
आरती श्रीजानकीनाथ जी की
जय जानकिनाथा, जय श्री रघुनाथा ।
दोउ कर जोरे बिनवौं प्रभु मेरी सुनो बाता।।
जय जानकि...
तुम रघुनाथ हमारे प्रान, पिता-माता ।
तुम ही सज्जन-संगी भक्ति-मुक्ति-दाता।।
जय जानकि...
लख चौरासी काटो मेटो यम-त्रासा।
निसिदिन प्रभु मोहि राखो अपने ही पासा।।
जय जानकि...
राम भरत लछिमन सँग शत्रुहन भैया ।
जगमग ज्योति विराजै, सोभा अति लहिया।।
जय जानकि...
हनुमत नाद बजावत, नेवर झमकाता ।
स्वर्णथाल कर आरती कौसल्या माता।।
जय जानकि...
सुभग मुकुट सिर, धनु कर सोभा भारी।
मनीराम दर्शन करि पल-पल बलिहारी।।
जय जानकि...
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